पक्षपात...

लहरों को पतवार से सम्भाला जा रहा है

सूरज को बादलों से डुबाया जा रहा है

मैदान में पक्षपाती सिक्का उछाला जा रहा है 

कबीर को उनका ही दोहा सुनाया जा रहा है 

हाँ, दलदल में वजन आजमाया जा रहा है

खड़ाऊ को कांटों से कमजोर बताया जा रहा है

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