खामोशी...

उसने बस नजर से हमे निहारा है,

उसकी आंख में मेरे लिए एक तारा है 

खामोश लब ऐसे ही कितनी गवाही देते है,

लो आज उसने तो सच में गुनगुनाना है

ऐसे तो भवर में कई जिस्म है, 

हमे बस उसकी रूह का सहारा है

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