उसकी तस्वीर बिल्कुल उससे अलग है,
मैं कितना भी परेशान करूँ फिर भी हँसती है |
अन-बन हममे बस इतनी सी है,
मैं उसे जानता हूँ पर पहचानता नहीं |
अब तो हम एक दूजे से इतने रूठे हैं,
मेरी ख्वाबों में भी उससे बात नहीं होती है |
वो अब भी मुझसे दूर है,
सिर पे मेरे अब भी उसका सुरूर है |
मौका देख रहा हूँ अपने दिलों को मिलाने का,
अपनी शेरवानी को उसके लहेंगे से मैच कराने का |
मैं कितना भी परेशान करूँ फिर भी हँसती है |
अन-बन हममे बस इतनी सी है,
मैं उसे जानता हूँ पर पहचानता नहीं |
अब तो हम एक दूजे से इतने रूठे हैं,
मेरी ख्वाबों में भी उससे बात नहीं होती है |
वो अब भी मुझसे दूर है,
सिर पे मेरे अब भी उसका सुरूर है |
मौका देख रहा हूँ अपने दिलों को मिलाने का,
अपनी शेरवानी को उसके लहेंगे से मैच कराने का |
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