आँगन की तुलसी मे पानी डालोगी क्या
घूंघट हटा के शाम की लाली डालोगी क्या
पलकों से मेरे कान में बाली डालोगी क्या
खुशबु से अपनी, मय फीकी कर डालोगी क्या
व्याह की इतनी जल्दी है तुम्हें क्या
गैर से ही फेरें कर डालोगी क्या
चलो अब खुश रहना मेरा क्या
अच्छा, बच्चों के नाम वही रखें है क्या
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