इश्क की खातिर फूल का कत्ल कर आए हम
बगीचे से अलग बिस्तर पर ले आए हम
लैला और कारोबारी की दिल की बात कर आए हम
मधुमक्खियों से फिर कुछ गुस्ताख़ी कर आए हम
पराग को किसी से ज़ुदा कर आए हम
कांटो को भी कुछ हथियार दिखा आए हम
हवा, धूप, धरती, सब से बेइमानी कर आए हम
कुछ इतनी विवशता से एक गुलाब दे आए हम
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