"भाव" ना !!!

हमें रोक लो, हमारी साँसे रोक लो
ये लिखने वाली बाईं ऊँगली रोक लो
ये कागज़ खींच लो, कलम खींच लो
ये सुनाने वाली सारी हवा खींच लो

निर्वात में भी तुमको इशारों से समझायेंगे 
पक्ष में अपने एक बार पूरी दुनिया लायेंगे 

अंकुरित होने में पूरी जान लगायेंगे 
हम ही नहीं बोले तो चिता-अग्नि को क्या मुँह दिखायेंगे?

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