वो अभी रस्ते में है,
बारिश को क्या ख़बर है |
भीगकर जो नशा मिलाया है उसने,
धरती को तो चक्कर आ रहे हैं |
हवा ख़ुद एक सदरी उड़ा लाई है,
कपकपे हाथ जो उसने एक साथ बांधे हैं |
बहुत गुरुर था पानी को पारदर्शी होने पे,
हम तो बस एक शर्ट देखकर आ रहें हैं |
बारिश को क्या ख़बर है |
भीगकर जो नशा मिलाया है उसने,
धरती को तो चक्कर आ रहे हैं |
हवा ख़ुद एक सदरी उड़ा लाई है,
कपकपे हाथ जो उसने एक साथ बांधे हैं |
बहुत गुरुर था पानी को पारदर्शी होने पे,
हम तो बस एक शर्ट देखकर आ रहें हैं |
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