इस ओर से उस ओर जा रही हो ना,
उस ओर सुबह इस ओर शाम कर रही हो ना
सूरजमुखी सी महफ़िल हमारी,
मिरे गुरूर का खिलवाड़ कर रही ना
महफ़िल सजी थीं अभी हमारे लिए,
मुस्कुरा के तुम अपने नाम कर रही हो ना
कितने उपमाएँ लिखे इक शायरी में हमारी,
मेरी नींद का फिर काम तमाम कर रही हो ना |
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