अलग़ बात है...


यूँ तो चिड़ियाँ रोज़ उठा देतीं हैं मुझे,
पर पाज़ेब की छन-छन में अलग़ बात है |

क़ोशिश में हैं फ़र्श को आइना बनाने में,
उसमें आपका दीदार हो तो अलग़ बात है |

अभी बाज़ार से आए हम,
ये नहीं लाए कोई पूछे तो अलग़ बात है |

ऐसे तो गुमां है अपने सही होने पर,
आप ग़लत ठहरा दें तो अलग़ बात है |

तुम साथ ही रहती हो ख्वाबों में मेरे,
पर शादी कर लो मुझसे तो अलग़ बात है |

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